अपनी गोद में खिलाया जिसे अचानक वो ज़िंदगी के इस मोड पर छोड़ चला. अपनी गोद में खिलाया जिसे अचानक वो ज़िंदगी के इस मोड पर छोड़ चला.
ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी चीजों में अपने अतीत के... ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी ची...
बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये। बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये।
आँखे निस्तेज डरी हुई सी भय थिरकन से भरी हुई सी खतरा हर पल लगा हुआ सा गले में अटकी जान हूँ। आँखे निस्तेज डरी हुई सी भय थिरकन से भरी हुई सी खतरा हर पल लगा हुआ सा गले में ...
उन सारे अधूरे सवालों का ज़िक्र मेरे ख़्वाबों में कर जाया करती है... उन सारे अधूरे सवालों का ज़िक्र मेरे ख़्वाबों में कर जाया करती है...
कौन कहता है कि वक्त फिसलता नही हाथो से ? जान लोगे तुम भी रेत को मुट्ठी में लेने के बाद ! कौन कहता है कि वक्त फिसलता नही हाथो से ? जान लोगे तुम भी रेत को मुट्ठी में ले...